padmavat ka review

।। ॐ जय श्रीराम ।।

हिन्दू अभिमान करे .... भंसाली को धन्यवाद दे .... उसने फ़िल्म में राजपूताने के गौरव और अभिमान को दर्शाया है ....

अच्छा ?? ....

कौनसा राजपुताना ?? कौनसा इतिहास ?? कौनसा वैभव ?? कौनसा गौरव ?? .... कौनसा अभिमान ?? ....

मैंने कल रात पद्मावत देखी 3 बजे .... दर्शक बन कर नहीं समीक्षक बन कर .... मेरे लिए ये आवश्यक था ....

हिंदुओं (कुछ हिंदुओं) ने उम्मीद से उल्टा काम किया है .... जिसमें खुद को राष्ट्रवादी हिन्दू कहने वाले भी शुमार है .... हालांकि ये भाजपावादी या मोदीवादी है राष्ट्रवाद से इनका कोई लेना देना नहीं .... ये हिन्दू पद्मावत लगने वाले थियेटर के बाहर खड़े हो के अपनी सेल्फी डाल रहे है .... टिकिट की सेल्फी डाल रहे है .... फ़िल्म की समीक्षात्मक पोस्ट कर रहे है .... राजपूताने के वैभव शौर्य को दिखाने के लिए भंसाली का शुक्रिया अदा कर रहे हैं,

फ़िल्म में राजपुताना कहाँ है ?? राजपूताने का शौर्य वैभव कहाँ है ?? .... 80% फ़िल्म में खिलजी को दिखाया गया है .... फ़िल्म का नाम पद्मावत ना हो के खिलजावत होना चाहिए ....

भाईसाब आपको राजपूताने का र मालूम है ?? ....

जौहर और शाका मालूम है ?? .... दोनों का अंतर मालूम है ?? .... क्षत्रिय का क्ष मालूम है ?? ....

जौहर के साथ शाका भी होता था .................. जौहर का मतलब सत्तित्व की रक्षा के लिए क्षत्रिय सनातनी वीरांगनाएं खुद को सशरीर अग्नि को समर्पित कर देती थी ............... मां पद्मावती को कायर कहने वाले लड़कर मरने की सलाह देने वाले ध्यान दें .... इस्लाम मे लाश के साथ संभोग की प्रथा आज भी है ................ शाका जौहर के बाद की नंबर दो प्रथा है .... क्षत्राणी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद क्षत्रिय योद्धा श्वेत वस्त्र धारण करते है .... सिर पे केसरिया बाना धारण करते है .... ततपश्चात क्षत्राणी की पार्थिव देह की राख से ललाट पर तिलक लगा के प्रण लेते है कि जब तक शरीर मे एक कतरा लहू बाकी है .... एक सांस बाकी है .... रणभूमि में लड़कर मरेंगे .... ज़िंदा लौट के दुर्ग/गढ़/घर नहीं आएंगे .... सर कट जाए बेशक धड़ लड़ते रहेंगे .... इसी दृढ़ संकल्प के साथ केसरिया बाना धारण करने को शाका कहा जाता है .... हर जौहर के साथ शाका होता है .... जौहर क्षत्रियत्व की रक्षा का प्रथम सौपान/प्रक्रिया है ततपश्चात नंबर दो पर शाका ....

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आइये आज 1303AD में चलते है .... 2 माह पहले मैंने विस्तार से लिखा था आज संक्षेप में लिख रहा हूँ .... सर्वप्रथम प्रातःकालीन बेला में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां पद्मावती एवं 16000 क्षत्राणियों का जौहर हुआ .... फिर मुट्ठी भर क्षत्रियों का शाका हुआ .... रणभूमि में राजपूतों ने अदम्य साहस वीरता का परिचय दिया .... क्षत्रियों की पराजय के बाद खिलजी ने दुर्ग चीत्तोड़ में प्रवेश किया .... जहां उसके हाथ निराशा लगी .... राख का ढेर लगा .... खिलजी चीत्तोड़ की कमान अपने बेटे ख़िज़्र खाँ को सौंपकर दिल्ली लौट गया ....

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#भंसाली_ने_पद्मावत_में_क्या_दिखाया_है .....

(1) शाका नहीं दिखाया .... जबकि शाका हमारी जौहर की तरह वीर और महान प्रथा है .... हमारे वैभव गौरव शौर्य अभिमान का प्रतीक है .... भंसाली ने उल्टा दिखाया है .... पहले रणभूमि में महारावल रतन सिंह को धोखे से मारा जाता है फिर जौहर होता है ............... ये गलत है .... वास्तविकता ये है कि पहले जौहर के पश्चात फिर शाका एवं युद्ध हुआ .... फेसबुकिये समीक्षक इतिहासकार बताए क्या ये इतिहास से छेड़छाड़ नहीं है .... सनातन क्षत्रियत्व की शाका जैसी गौरवशाली प्रथा को ना दिखाना एवं पहले युद्ध फिर जौहर दिखाना ....

(2) भंसाली की पद्मावत में दिखाया गया है खिलजी अकेला दुर्ग चीत्तोड़ में प्रवेश करता है .... दुर्ग चीत्तोड़ की प्राचीर पर पागलों की तरह दौड़ता रहता है .... 16000 वीरांगनाओं के बीच भी जाता है ............. खिलजी अकेला दुर्ग चीत्तोड़ में प्रवेश ?? .... 16000 वीरांगनाओं के बीच अकेला खिलजी ?? .... कटार ना घौम्पी वीरांगनाओं ने खिलजी के हाहाहा ?? .... खिलजी की सेना गयी थी दुर्ग चीत्तोड़ में खिलजी के साथ तब राख का ढेर और निराशा हाथ लगी उनके क्योंकि जौहर सुबह ही हो चुका था .... जौहर बाद में होता खिलजी के दुर्ग में प्रवेश के बाद तो क्या खिलजी एवं उसकी सेना होने देती जौहर ?? .... हास्यास्पद नहीं है ये ?? ....

(3) महारावल रतन सिंह की प्रथम पत्नी सौतिया डाह से ग्रसित है .... ये कहाँ पढा भंसाली ने ?? ....

(4) महारावल रतनसिंह जब अंतिम युद्धरत रहते है उनका केसरिया बाना कहाँ है ?? .... बकौल भंसाली डेढ़ साल से वो कह रहे है कि उन्होंने इतिहास का अध्ययन किया है .... फ़िल्म निर्माण के लिए इतिहासकारों के पैनल का गठन किया है ................ भारतीय नहीं सम्पूर्ण वैश्विक इतिहास देखिये आप .... सबसे ज्यादा युद्ध हमारी भूमि (राजस्थान) में लड़े गए है .... सबसे ज्यादा युद्ध हमारे पुरखों ने लड़े है ................. शाका का मतलब ही होता है केसरिया बाना धारण करना श्वेत वस्त्र धारण करना .... ना शाका दिखाया ना श्वेत वस्त्र ना महारावल के माथे पे केसरिया बाना ............... 200 या 300 करोड़ लागत की फ़िल्म बनाकर इतनी बड़ी भूल ?? .... कौनसे इतिहासकारों का पैनल बनाया था ये दृश्य फिल्मांकित करने के लिए ?? ....

(5) घूमर नृत्य के बोल हमारे घूमर नृत्य के बोल नहीं है .... हमारा घूमर नृत्य यू-ट्यूब पे है आप देखिये सुनिए उसके बोल ............ बकौल फ़ेसबुकिया टुच्चे इतिहासकारों समीक्षकों के .... ये गौरी पूजा नृत्य था जो जायज था .... आज इक्कसवीं सदी में गौरी गणगौर जगदम्बा चामुंडा भवानी एकलिंग जी पूजा में भी जागीर की ठकुराइन भी नृत्य नहीं करती .... वर्जित है .... फिर 800 साल पहले के रूढ़िवादी समाज .... राजपुताना आन बान शान के परिवेश में साक्षात चीत्तोड़ की रानी का नृत्य कैसे और क्यों ?? ........... मैं शुरू से खंडन कर रहा हूँ ये गलत दृश्य या गाना है ....

(6) इतिहास की मां बहन 50 जगह की गई है फ़िल्म में ....

इसी भंसाली ने पेशवा बाजीराव जैसे महान वीर योद्धा को एक रोमियो या लवर बॉय दिखाया था ....

इस फ़िल्म में ऐतिहासिक पात्रों तथ्यों की छेड़छाड़ के लिए इतिहास भंसाली को माफ नहीं करेगा ....

फ़ेसबुकिया इतिहासकार समीक्षक पहले राजपूताने का र लिखना सीखें ....

हमारी प्रथाओं परम्पराओं को सीखें .... अध्ययन करें ....

फिर समीक्षा करें !!!!

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