जयमल के भाई ईसर दास जी

जयमल जी १३ भाई थे..जयमल के भाई ईसर दास जी बड़े बहादुर थे !उनकी बहादुरी सुन कर एक बार सम्राट अकबर ने उन्हें अपने दरबार में हाज़र होने का फरमान भेजा, ईसर दासजी ने जवाब भेजा के वक़्त आने पर हो जरुर मुजरा करने आयेगे ! चित्तोड़ के तीसरे शाके में जब केसरिया साफा पहन कर चित्तोड़ के वीर राजपूत शाही सेना पर टूट पड़े तो बादशाह ने ३०० खूनी हथियो के दांत में दुधारी खांडे पकडवा के महाराणा के सेना को मरने भेज दिया, उस ही समय बादशाह का मधुकर नाम के मस्त हाथी का एक हाथ से दांत उखाड़ के ईसर दास जी ने दुसरे हाथ से जोरदार तलवार चलायी ! बादशाह तो बच गया पर महंत मारा गया ! ईसर दास जी ने हाथी से कहाः "वीरता के गुणी-ग्राहक अपने मालिक को मेरा मुजरा कहना'! बाद में इस युद्ध में शाही सेना से लड़ते हुए ईसर दास जी वीरगति को प्राप्त हुए !!!

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